Posts

Showing posts from December, 2020

कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का जीवित दर्शन (Live View) - पोल्ट्री उद्योग

Image
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का जीवित दर्शन (Live View) - पोल्ट्री उद्योग माननीय भारत सरकार, समस्त माननीय राज्य सरकार, संबंधित माननीय मंत्री / मंत्रालय / अधिकारी महोदय, प्रिय किसान भाईयों एवं प्यारे देशवासियों ... सप्रेम नमस्कार ! कृषि व कृषि सहयोगी व्यवसायों में किसानों को विगत कई वर्षों से 1. उत्पादन लागत, 2. ऊपज विक्रय, 3. विक्रय मूल्य, 4. घाटा / मुनाफा आदि प्रमुख समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। यह अलग अलग समस्याएं है और इनका निराकरण अतिआवश्यक है। व्याप्त समस्याओं के समाधान हेतु माननीय भारत सरकार ने किसान, उद्योग एवं देशहित में तीन नये कृषि कानून लागू किये हैं। समस्याओं के निराकरण हेतु लागू नए कृषि कानून के प्रावधान :- 1. क्रेता व विक्रेता कहीं भी खरीद व बिक्री कर सकते है। 2. कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग। 3. भंडारण छूट। लागू नए कृषि कानून प्रावधानों में "कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग" निराकरण पावर सेंटर है, क्योंकि इसका संबंध उत्पादन से है। देश के कुछ कृषि क्षेत्रों में सुझावित व्यवस्था स्वरूप में पहले से ही व्यवसाय हो रहा है, जिसका जीवित दर्शन (Live View) पोल्ट्री उद्योग (ब्रॉयलर फार्मिंग) है।

डेढ़ दशक पहले निम्न तरह की शंकायें पोल्ट्री व्यवसाय में पैदा हुई थीं

Image
 भारत सरकार ने किसान हित एवं देशहित में तीन नये कृषि कानून लागू किये हैं। कानून संख्या 2 (Farmer Empowerment and Protection) के अंतर्गत पोल्ट्री फेडरेशन इसके संदर्भ में अपनी बात कहना चाहती है।  पोल्ट्री उद्योग कृषि संबंध एवं राज्य सरकारों में कृषि अंतर्गत है। कृषि कानून के लिए पोल्ट्री उद्योग एक जीवन्त उदाहरण (Live Example) है। पोल्ट्री सेक्टर के कॉमर्शियल ब्रायलर उत्पादन में 15 वर्ष पहले कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के तहत उत्पादन शुरू हुआ। वर्तमान समय में 21 से अधिक राज्यों में एवं कुल उत्पादन का 70 प्रतिशत उत्पादन कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग मॉड्यूल द्वारा किया जा रहा है।  डेढ़ दशक पहले शुरूआत में निम्न तरह की शंकायें पोल्ट्री व्यवसाय में पैदा हुई थीं.... 1. कॉन्ट्रैक्ट कंपनियां उत्पादन सही नहीं मिलने पर, गुणवत्ता उचित नहीं होने पर किसानों की जमीन पर कब्जा कर लेंगी। 2. बाजार के भाव गिरने पर कान्ट्रैक्ट कंपनियां अगर माल नहीं उठाएंगी तो किसान अपना माल कहां लेकर जाएगा।  3. यह कान्ट्रैक्ट कंपनियां बाजार पर कब्जा करके किसानों को खत्म कर देंगी।  4. कंपनियां कभी भी किसानों की मेहनत हड़पकर कभी भी भाग सकती