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Showing posts from February, 2021

पोल्ट्री उद्योग का कृषि, पशुपालन में योगदान, उत्पाद विशेषताएं, उद्योग ज्वलंतशील समस्याएं एवं समाधान सुझाव प्रार्थना

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  सेवा में , माननीय प्रधानमंत्री महोदय जी , माननीय केंद्रीय वित्त मंत्री महोदया जी , माननीय केंद्रीय पशुपालन मंत्री महोदय जी , भारत सरकार , नई दिल्ली। विषय:- पोल्ट्री उद्योग का कृषि , पशुपालन में योगदान , उत्पाद विशेषताएं , उद्योग ज्वलंतशील समस्याएं एवं समाधान सुझाव प्रार्थना । महोदय जी , हमारे देश में कॉमर्शियल पोल्ट्री उद्योग की शुरुआत लगभग वर्ष 1962 में हुई थी , नस्ल सुधार हेतु उच्च उत्पादक नस्लों (स्ट्रैन) का आयात , शैक्षणिक व अनुसंधान संस्थानों की स्थापना आदि पंचवर्षीय योजनाओं के तहत किया गया। कॉमर्शियल पोल्ट्री उद्योग को वर्ष 1980 के आसपास निजी क्षेत्र को नस्ल मिशन व उद्योग विकास हेतु आमंत्रित कर लावारिश व स्वयं के हालत पर छोड़ दिया गया। पोल्ट्री उद्योग किसानों की आय दोगुना मिशन , आत्मनिर्भर भारत मिशन व कोरोना से लड़ने हेतु इसमें अभूतपूर्व साहस है और यह कई योजनाओं को बल दे सकता है। पोल्ट्री उद्योग का कृषि , पशुपालन में योगदान व इसके उत्पादों की विशेषताएं :- 1 . विश्व में भारत अंडा उत्पादन - 3 स्थान व चिकन उत्पादन - 5 स्थान रखता है। 2 . कृषि जीडीपी में 1 . 25 ला

भारतीय पोल्ट्री किसानों का दर्द व पोल्ट्री उत्पादों की उपयोगिता

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  अभाग्य पोल्ट्री किसानों की समस्याएं थमने का नाम ही नहीं ले रही है। पहले कोरोना और बाद में जंगली/प्रवासी पक्षियों में बर्ड फ्लू सूचनाएँ प्रसारण के बाद जैसे पोल्ट्री उद्योग को किसी की नजर सी लग गई है। देश में कोई भी नई बीमारी आये उसका जिम्मेदार पोल्ट्री उत्पादों को ही ठहराना एक परंपरा सी बन गई है। इसकी वजह से लाखों पोल्ट्री किसान बर्बाद व आश्रित परिवारों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। समाज में फैली झूठी अफवाहों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (OIE), पशुपालन मंत्रालय भारत सरकार , भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक (FSSAI), राज्य सरकारों आदि ने भारतीय स्टाइल "पकाकर खाना" को पूर्णतः सुरक्षित घोषित किया है। हम भारतीय 150℃ से अधिक तापमान पर खाना बनाते खाते है और कोई भी वायरस/बैक्टीरिया 70℃ तापमान पर 3 सेकंड में पूर्णतः खत्म हो जाते हैं। पोल्ट्री फार्मर्स ब्रायलर्स वेलफेयर फेडरेशन के अध्यक्ष एफ.एम.शेख ने भी अंडा खाने वाले व नॉनवेज शौकीनों से अपील की है कि भारतीय पोल्ट्री उत्पाद व हमारा खानपान पहले से ही सुरक्षित है, "संडे हो या मंडे भारतीय स्टाइल  में रोज ख

बेगुनाह पोल्ट्री उद्योग: एफ.एम. शेख

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  पोल्ट्री फार्मर्स ब्रॉयलर्स वेलफेयर फेडरेशन अध्यक्ष श्री एफ.एम.शेख ने बताया कि देश में हर आई हर नई बीमारी में पोल्ट्री उद्योग को घसीटना एक परम्परा बन गई है। इस कृषि सहयोगी व बेगुनाह उद्योग के साथ यह नाइंसाफी है। विगत 11 माह में पोल्ट्री उद्योग को दो बार अफवाहें (चिकन व अंडा खाने से कोरोना व बर्डफ्लू का संक्रमण होना) ध्वस्त कर चुकी हैं और वर्तमान स्थिति पर अपने विचार साझा किये हैं। उन्होंने कोरोना और बर्ड फ्लू की वजह से पोल्ट्री उद्योग में आये बदलाव के बारे में बताते हुए कहा कि देश में वर्ष 2006 से सर्दी के मौसम में प्रवासी/जंगली पक्षियों में पक्षी फ्लू होना आम बात है। पोल्ट्री पक्षियों का इनसे कोई लेना-देना नहीं है क्योंकि पोल्ट्री पक्षी जाली कवर फार्मो में पाले जाते हैं इनका दूर दूर तक जंगली प्रवासी पक्षियों से सम्पर्क नहीं होता है। पोल्ट्री फार्मों व इसके व्यवसाय से देश में लाखों लोग जुड़े है जो रोजाना कई घण्टों तक पक्षियों के सम्पर्क में रहते हैं। बावजूद देश में अभी तक पक्षी वायरस द्वारा मनुष्यों में संक्रमण का एक भी केस नहीं मिला है। इसके साथ ही उन्होंने लोगों से ये आग्रह कि