बेगुनाह पोल्ट्री उद्योग: एफ.एम. शेख
पोल्ट्री फार्मर्स ब्रॉयलर्स वेलफेयर फेडरेशन अध्यक्ष श्री एफ.एम.शेख ने बताया कि देश में हर आई हर नई बीमारी में पोल्ट्री उद्योग को घसीटना एक परम्परा बन गई है। इस कृषि सहयोगी व बेगुनाह उद्योग के साथ यह नाइंसाफी है। विगत 11 माह में पोल्ट्री उद्योग को दो बार अफवाहें (चिकन व अंडा खाने से कोरोना व बर्डफ्लू का संक्रमण होना) ध्वस्त कर चुकी हैं और वर्तमान स्थिति पर अपने विचार साझा किये हैं। उन्होंने कोरोना और बर्ड फ्लू की वजह से पोल्ट्री उद्योग में आये बदलाव के बारे में बताते हुए कहा कि देश में वर्ष 2006 से सर्दी के मौसम में प्रवासी/जंगली पक्षियों में पक्षी फ्लू होना आम बात है। पोल्ट्री पक्षियों का इनसे कोई लेना-देना नहीं है क्योंकि पोल्ट्री पक्षी जाली कवर फार्मो में पाले जाते हैं इनका दूर दूर तक जंगली प्रवासी पक्षियों से सम्पर्क नहीं होता है। पोल्ट्री फार्मों व इसके व्यवसाय से देश में लाखों लोग जुड़े है जो रोजाना कई घण्टों तक पक्षियों के सम्पर्क में रहते हैं। बावजूद देश में अभी तक पक्षी वायरस द्वारा मनुष्यों में संक्रमण का एक भी केस नहीं मिला है। इसके साथ ही उन्होंने लोगों से ये आग्रह किया कि फैली हुई अफवाहों और भ्रमित सूचनाओं पर ध्यान बिल्कुल न दें। पोल्ट्री उत्पाद (चिकन व अंडे) प्रोटीन का सबसे किफायती स्रोत और उपलब्धता बहुत आसान है। संडे हो या मंडे 70 ℃ से अधिक तापमान पर पकाकर रोज खाओ "चिकन व अंडे", क्योंकि भारतीय पोल्ट्री उत्पाद व हमारा खानपान पहले से ही सुरक्षित हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO), विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन(OIE), पशुपालन मंत्रालय भारत सरकार, भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक (FSSAI) ने भी चिकन व अंडे को 70 ℃ से तापमान 3 सेकंड से अधिक पर पकाकर खाने को पूर्णतः सुरक्षित घोषित किया है।
श्री शेख ने बताया कि मुर्गीपालन व्यवसाय से 50 लाख से अधिक परिवारों का रोजगार व 2 करोड़ से अधिक मक्का सोयाबीन मूंगफली, सरसों उत्पादक कृषि कृषकों को आमदनी जुड़ी है। भ्रमित सूचनाएं फैलाने वालों को उद्योग आश्रितों के बारे में भी सोचना चाहिए।
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