जनहित में जारी पोल्ट्री उद्योग संदेश


 

प्यारे देशवासियों नमस्कार, आदाब, सतश्रीअकाल,

पिछले कुछ एक दिन से देश के कुछ राज्यों में जंगली व प्रवासी पक्षियों में बर्ड फ्लू (पक्षी बुखार) होने की पुष्टि हुई है। जंगली व प्रवासी पक्षियों में पाए गए बर्ड फ्लू को लेकर पोल्ट्री उद्योग / उत्पादों को लेकर ज्ञान / अज्ञानवश भ्रम व डर फैलाया जा रहा है। पोल्ट्री फार्मर्स ब्रॉयलर्स वेलफेयर फेडरेशन आपका ध्यान पोल्ट्री उद्योग, पोल्ट्री प्रोडक्ट - चिकन व अंडे, पोल्ट्री बर्ड्स, जंगली पक्षियों (कौवा, कबूतर, बतख, तोता, मोर, चिड़िया आदि) व प्रवासी पक्षियों के संबंध में प्रसारित हो रही भ्रमित सूचनाओं व अफवाहों पर आपका ध्यान निम्न बिंदुओं पर आकर्षित करना चाहती है :-

1. देश में बर्ड फ्लू की दस्तक 2006 में हुए थी तब से लेकर हर वर्ष इस वायरस की चर्चा होती आ रही है लेकिन आज तक इस वायरस की वजह से किसी व्यक्ति को बुखार ही आया हो यह तक रिपोर्ट नहीं हुआ है। हमारे देश में प्रवासी पक्षियों का हर वर्ष सितम्बर से मार्च के बीच आना जाना होता है। हम आप सभी जानते है की जंगली व प्रवासी पक्षियों के आवगमन पर अत्यधिक जोर नहीं चल पाता है। प्रवासी पक्षियों से जंगली पक्षियों में फ्लू वायरस संक्रमण या अत्यधिक ठंड व गर्मी मौसम की वजह से पक्षियों मर जाना आम बात है।

2. पोल्ट्री फार्मों में बर्ड्स को जाली से कवर शेड / पोल्ट्री आवासों में पाला जाता है, उन्हें जरूरी वेक्सीन, विश्व पशु स्वस्थ संगठन व सरकार की गाइड लाइन के अनुसार फार्म मैनेजमेंट, बायो सिक्युरिटी आदि नियमों का पालन होता है। पोल्ट्री बर्ड्स का जंगली व प्रवासी पक्षियों से कोई मेल मिलाप नहीं होता है। जंगली व प्रवासी पक्षियों के साथ पोल्ट्री बर्ड्स/उत्पादों को जोड़ना और प्रसारित फोटों में पोल्ट्री फार्मों/बर्ड्स को दिखाना यानी पोल्ट्री उद्योग, उद्योग से जुड़े किसानों/व्यवसाईयों को खत्म करना और देश के कृषि किसानों को मुश्किल में डालना है।

3. भारतीय पोल्ट्री उद्योग से ग्रामीण, अर्धनगरीय व शहरी क्षेत्रों का सीमांत, छोटा, मध्यमवर्गीय किसान वर्ग व छोटे व्यवसायी जुड़ा है, उद्योग का 1.5 लाख करोड़ रूपये से अधिक सालाना टर्न ओवर है, जो 10 लाख से अधिक लोगों को डायरेक्ट रोजगार प्रदान करता है। पोल्ट्री बर्ड्स देश में पैदा हो रही मक्का, बाजरा की 70 % से अधिक और  सोयाबीन, सरसों, मूंगफली, सूरजमुखी इत्यादि खलियो की 90 % से अधिक खपत कर 2.0 करोड़ से अधिक कृषि किसानों की आय को बढ़ाता है और 80 % से अधिक देशवासियों को सबसे सस्ता प्रोटीन पोषण (चिकन व अंडे) उपलब्ध करवाता है यानी के सबसे सस्ता इम्युनिटी बूस्टर है। पोल्ट्री उत्पादों में सबसे अधिक मात्रा में प्रोटीन उपलब्ध है।

4. भारतीय पोल्ट्री उद्योग कोरोना से पूर्व विश्व में अंडा उत्पादन में तीसरा और चिकन उत्पादन में पांचवा स्थान रखता था। लेकिन कोरोना काल खंड में लॉकडाउन से पहले फैली अफवाह “चिकन अंडे खाने से कोरोना संक्रमण होना” से पूरा उद्योग जमींदोज हो गया था। बाद में जब लोगों को सच पता चला की यह अफवाह है और इसको खाने से कोरोना का संक्रमण नहीं होता है और यह इम्युनिटी का अच्छा व सस्ता स्रोत है। तब जाकर मुश्किल से व अभी तक 40 % उद्योग खड़ा हो पाया है। पोल्ट्री उद्योग के जमींदोज होने का ही परिणाम है की कृषि किसानों कि मक्का MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) 1850 रूपये प्रति क्यूंट्ल के बजाय 700 - 800 रू/क्यूं तक विक्रय हुई और वर्तमान भाव 1200-1300 रू/ क्यूं. है।

5. डॉक्टरों के अनुसार बर्ड-फ्लू वायरस 35*C से अधिक तापमान पर सर्वाइव नहीं कर सकता है और 70*C तापमान तक बिलकुल नष्ट हो जाता है। इसके अलावा हमारे देश में मसाले युक्त नॉनवेज पकाया, जिसमें हल्दी, अदरक लहसुन प्याज, कालीमिर्च, बड़ी इलायची, जायफल जावत्री आदि प्रयोग में लायी जाती है और 100 *C से अधिक तापमान पर पकाया / उबाला खाया जाता है। इसलिए हमारा खानपान पूर्णतः सुरक्षित है।

6. भारत सरकार के माननीय पशुपालन मंत्री श्री गिरिराज सिंह जी ने देश को स्थिति से अवगत करवाया है, फैल रही गलत अफवाहों का खंडन किया है और देश के अन्य जाने माने डॉक्टरों ने भी सुनिश्चित किया है कि भारतीय पोल्ट्री उत्पाद पूर्णतः सुरक्षित है और हमेशा अच्छे से पकाकर ही इनका सेवन करना चाहिए।

अतः देशवासियों / अंडे व चिकन उपभोक्ताओं से अपील है भारतीय पोल्ट्री के उत्पाद चिकन व अंडे पकाकर खाने में कोई डर नहीं है, अफवाहों पर बिलकुल ध्यान ना दें,  बिंदास होकर चिकन व अंडे बनाए-खाए और खिलाए और आपसे निवेदन है की इस जानकारी को अपने सभी जानने वालों तक पहुंचाने का कष्ट करें-धन्यवाद।


एफ. एम. शेख 

अध्यक्ष, पोल्ट्री फार्मर्स ब्रॉयलर्स वेलफेयर फेडरेशन

फोन : 9695946525 ; 9936798845

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