भारतीय पोल्ट्री किसानों का दर्द व पोल्ट्री उत्पादों की उपयोगिता

 


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पोल्ट्री किसानों की समस्याएं थमने का नाम ही नहीं ले रही है। पहले कोरोना और बाद में जंगली/प्रवासी पक्षियों में बर्ड फ्लू सूचनाएँ प्रसारण के बाद जैसे पोल्ट्री उद्योग को किसी की नजर सी लग गई है। देश में कोई भी नई बीमारी आये उसका जिम्मेदार पोल्ट्री उत्पादों को ही ठहराना एक परंपरा सी बन गई है। इसकी वजह से लाखों पोल्ट्री किसान बर्बाद व आश्रित परिवारों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। समाज में फैली झूठी अफवाहों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन(OIE), पशुपालन मंत्रालय भारत सरकार, भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक (FSSAI), राज्य सरकारों आदि ने भारतीय स्टाइल "पकाकर खाना" को पूर्णतः सुरक्षित घोषित किया है। हम भारतीय 150℃ से अधिक तापमान पर खाना बनाते खाते है और कोई भी वायरस/बैक्टीरिया 70℃ तापमान पर 3 सेकंड में पूर्णतः खत्म हो जाते हैं।

पोल्ट्री फार्मर्स ब्रायलर्स वेलफेयर फेडरेशन के अध्यक्ष एफ.एम.शेख ने भी अंडा खाने वाले व नॉनवेज शौकीनों से अपील की है कि भारतीय पोल्ट्री उत्पाद व हमारा खानपान पहले से ही सुरक्षित है, "संडे हो या मंडे भारतीय स्टाइल  में रोज खाओ "चिकन व अंडे"।


आगे उन्होंने कहा कि पोल्ट्री उद्योग पूरी तरह से बेगुनाह है।कोरोना अफवाह से तबाह होने के बाद उद्योग 30% - 40% ही पटरी पर आ पाया था कि जंगली/प्रवासी पक्षियों की 2006 से कॉमन समस्या को शोशल/प्रिंट मीडिया ने हवा दी, जिससे  पोल्ट्री उद्योग फिर बर्बाद हो गया और जुड़े किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है। कोरोना अफवाह में बर्बाद होने के बाद मुश्किल से जुटाया धन फिर खत्म हो गया। कुछ जगहों पर किसानों ने आत्महत्या जैसे कदम उठा लिए है। पोल्ट्री असंगठित व पॉलिसी रहित उद्योग है, सरकार भी पोल्ट्री किसानों की दुर्दशा पर ध्यान नहीं दे रही है।


किसानों मुर्गीपालन व्यवसाय से 50 लाख से अधिक परिवारों का रोजगार व 2 करोड़ से अधिक मक्का सोयाबीन मूंगफली, सरसों उत्पादक कृषकों की आमदनी जुड़ी हुई हैं । उन्होंने बताया कि सरकार को फेडरेशन ने किसानों की जमीनी समस्याओं से समय - समय पर बारम्बार अवगत कराया है लेकिन सरकार ने किसानों को अभी तक कोई आर्थिक सहायता, बैंक कर्ज छूट या अन्य राहत नहीं दी है।


हमारा देश में प्रचुर प्रोटीन युक्त पोषण की कमी है इसलिए करोडों नागरिक कुपोषण के शिकार हैं। भारतीय मेडिकल अनुसंधान परिषद (ICMR) के अनुसार हमारे शरीर को आयु अनुसार रोजाना 0.66 से 0.83 ग्राम प्रोटीन प्रति किलो वजन पर आवश्यक है। अगर हम पोल्ट्री उत्पाद "चिकन व अंडे" की बात करें तो यह प्रोटीन (इम्युनिटी) का सबसे सस्ता स्रोत और फार्म फ्रेश स्थिति में आसानी से हर जगह उपलब्ध है। इसके साथ ही इनको विभिन्न तरह से बनाना व आसान पाचन क्रिया है। 100 ग्राम चिकन से 27 ग्राम प्रोटीन, 100 ग्राम अंडे(2 अंडे) से 13 ग्राम प्रोटीन, 100 मि.ली. दूध से से 3.5 ग्राम प्रोटीन, 100 ग्राम दाल से 15 से 25 ग्राम प्रोटीन मिलता हैं। अंडे वाले पोल्ट्री फार्मो में मुर्गियां कुदरत के बने निज़ाम की वजह व्यस्क होने अपने आप अंडे देती हैं, यहाँ पर एक भी मुर्गा नहीं होता है। वैज्ञानिक आधार पर पोल्ट्री फार्म के अंडे पूर्णतः वेजिटेरियन है। इसलिए जागरूक व विज्ञान पर भरोसा करने वाले वेजिटेरियन परिवार अपने घरों में अंडा बनाते खाते हैं।

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